धीमी रफ्तार से चलता कछुआ रोज़ आसमान, सूरज, नदी और अपने सभी दोस्तों से अभिवादन कर बातचीत करता और फिर अपना सफ़र खुशी-खुशी जारी रखता| एक दिन उसको खरगोश ने सुझाया कि वह अगर जल्दी चले तो उसे और मज़ा आएगा| कछुए ने जुगाड़ लगाईं और निकल पड़ा अपने रोज़ के सफ़र पर| लेकिन क्या कछुए को ये रफ्तार खुशी दे पाएगी!
choosing a selection results in a full page refresh