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Age: 3+ Format: Paperback Publisher: Ektara
Product Description:
हमारे शहर कस्बे और गाँवों में रामलीला के आयोजनों की परम्परा रही है। ज़्यादातर मण्डलियों के पास इतने कम साधन होते हैं कि किसी ना किसी चीज़ का टोटा बना रहता है। कभी तम्बू और कनात कम पड़ जाते हैं। तो कभी मुकुट और पोशाकें। कहीं पर राम और सीता भी कम पड़ जाते हैं! रामपुर में ऐन मौके पर ‘रावण’ कम पड़ गया।
ऐन मौके पर रावण की जुगाड़ करने से क्या हुआॽ ‘रामपुर की रामलीला’ इसी की कहानी है। कविता सिंह काले के किरदार बड़ी-बड़ी ऑंखों वाले होते हैं। जैसे वो ये देखते हों कि हम कितना ध्यान से देखते हैं। ध्यान से देखोगे तो आपको इनमें रामलीला की एक-एक तैयारी दिखेगी।
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